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छोटे लड़के की नौकरी का मूल्यांकन : Self Work Appraisal - Hindi Story of the Day

️छोटे लड़के की नौकरी का मूल्यांकन: Hindi Story of the Day एक छोटा लड़का दवा की दुकान पर गया और कार्टन पर चढ़ गया ताकि वह फोन तक पहुंच सके। फिर उसने एक नंबर डायल किया और बात करने लगा. लड़का: मैम, क्या आप मुझे अपना लॉन काटने का काम दे सकती हैं? महिला (कॉल के दूसरे छोर पर): क्षमा करें, लेकिन मेरे पास यह काम करने के लिए पहले से ही कोई है। लड़का: मैम, आप व्यक्तिगत रूप से काम करने वाले व्यक्ति को जो कीमत देंगे उससे आधी कीमत पर मैं यह कर दूंगा। महिला: नहीं, मैं उस व्यक्ति के काम से संतुष्ट हूं जो वर्तमान में मेरा लॉन काट रहा है। लड़का: मैम, कृपया मुझे नौकरी दे दीजिए, मैं आपके फुटपाथ पर झाड़ू भी लगा दूंगा। आपके पास पाम बीच में सबसे सुंदर लॉन होगा। महिला: नहीं, धन्यवाद. चेहरे पर मुस्कान के साथ, लड़के ने रिसीवर बदल दिया। दवा की दुकान का मालिक, जो यह सब सुन रहा था, लड़के के पास आया और बोला, "बेटा, मुझे तुम्हारा दृष्टिकोण और सकारात्मक भावना पसंद आई और मैं तुम्हें नौकरी देना चाहता हूं। लड़के ने उत्तर दिया, "नहीं सर, धन्यवाद।" स्टोर मालिक (भ्रमित) बोला, "लेकिन...

Follow Your Dream: Story of the Day

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️Follow Your Dream: Story of the Day It's story of a young man name Monty who was a son of horse trainer who would go stables, race tracks, farms, training horses. As a result boy's high school career was interrupted continuously. One day at this school he was asked to write a paper about what he wanted to be in his life when he grew up. That night boy wrote a seven page paper describing his goal about owning a horse ranch. He wrote his dream in detail and even drew diagram of 200-acre ranch and all things he was going to include in his ranch such as building, track etc. He drew detailed floor plan for everything he dreamed about owning one day. Next day he handed this project to his teacher. After two days he received his paper back with 'F' grade on top of it. Teacher asked him to meet her after class. After class boy went to meet teacher and asked, "Why did he got 'F'?" Teacher said, "This dream is too unrealistic as you need lots o...

प्रशांत चंद्र महालनोबिस : Prashant Chandra mahalnobis - Short introduction

प्रशांत चंद्र महालनोबिस ● प्रशांत चंद्र महालनोबिस का जन्म 29 जून, 1893 को कलकत्ता के 210, कार्नवालिस स्ट्रीट स्थित उनके पैतृक आवास में हुआ था। ● उनके पिता का नाम प्रबोध चंद्र महालनोबिस था जो साधारण ब्रह्म समाज के सक्रिय सदस्य थे। ● महालनोबिस की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा उनके दादा, गुरु चरन महालनोबिस द्वारा स्थापित ब्रह्म ब्वॉयज स्कूल में हुई। ● उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा इसी स्कूल से वर्ष 1908 में उत्तीर्ण की। ● महालनोबिस प्रेसीडेंसी कालेज से भौतिकी विषय में ऑनर्स करने के बाद उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए लंदन चले गए तथा वहाँ इन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से भौतिकी और गणित दोनों विषयों से डिग्री हासिल की। ● वैज्ञानिक होने के अलावा श्री महालनोबिस की रुचि साहित्य में भी थी। ● उनके गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर के साथ काफ़ी अच्छे संबंध थे। ● टैगोर ने 'विश्व भारती' की स्थापना की तो प्रोफेसर महालनोबिस को संस्थान का सचिव नियुक्त किया। ● प्रोफेसर ने गुरुदेव के साथ कई देशों की यात्रा भी की और कई महत्त्वपूर्ण दस्तावेज भी लिखे। ● भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू...

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय : Bankim Chandra Chattopadhyay: Short introduction & Biography

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय : Bankim Chandra Chattopadhyay ● भारत के महान उपन्यासकार एवं कवि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 27 जून, 1838 को पश्चिम बंगाल के कंठपुरा गाँव में हुआ था। ● उन्होंने संस्कृत में भारत के राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम्' की रचना की जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बना। ● 1857 में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के खिलाफ एक मज़बूत विद्रोह हुआ परंतु बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और 1859 में बी.ए. की परीक्षा पास की। ● बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय 1891 ई. तक कलकत्ता के डिप्टी कलेक्टर रहे। ● महाकाव्य उपन्यास आनंदमठ, संन्यासी विद्रोह (1770-1820) की पृष्ठभूमि से प्रभावित था। ● उन्होंने अपने साहित्यिक अभियान के माध्यम से बंगाल के लोगों को बौद्धिक रूप से प्रेरित किया। ● भारत को अपना राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् आनंदमठ से मिला। ● उन्होंने 1872 ई. में एक मासिक साहित्यिक पत्रिका, बंगदर्शन की भी शुरुआत की, जिसके माध्यम से बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को एक बंगाली पहचान और राष्ट्रवाद के उद्भव को प्रभावित करने का श्रेय दिया जाता है। ● ब...

वराहगिरि वेंकट गिरि - Varahgiri-Venkat-Giri: 4th President of India

वराहगिरि वेंकट गिरि : Biography & Short Introduction वी.वी. गिरि के नाम से प्रसिद्ध भारत के चौथे राष्ट्रपति वराहगिरि वेंकट गिरि का जन्म 10 अगस्त, 1894 को ओडिशा के गंजाम ज़िले के बेहरामपुर में हुआ था। वी.वी. गिरि ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बेहरामपुर से ही प्राप्त की और उसके पश्चात् वे कानून का अध्ययन करने के लिए आयरलैंड चले गए, वहाँ वे भारत और आयरलैंड दोनों देशों की राजनीति में काफी सक्रिय थे, जिसके चलते उन्हें 1 जून, 1916 को आयरलैंड छोड़ना पड़ा। वी. वी. गिरि 'अखिल भारतीय रेलवे कर्मचारी संघ' और 'अखिल भारतीय व्यापार संघ' (कांग्रेस) के अध्यक्ष भी रहे। वर्ष 1916 में वे भारत लौटे और मद्रास उच्च न्यायालय में शामिल हो गए। कालांतर में वे कांग्रेस में शामिल होकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय हो गए। वर्ष 1934 में वे इम्पीरियल विधानसभा के भी सदस्य नियुक्त हुए तथा वर्ष 1937 तक इस पद पर रहे। वर्ष 1951 के आम चुनावों में, वह मद्रास में लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से पहली लोकसभा के लिए चुने गए थे और वर्ष 1952-54 के बीच केंद्रीय श्रम मंत्री के तौर पर कार्य किया। ...

श्यामा प्रसाद मुखर्जी - Shyama-Prashad-Mukharjee

श्यामा प्रसाद मुखर्जी - Short Introduction श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई, 1901 को कलकत्ता में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। डॉ. मुखर्जी ने वर्ष 1921 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने वर्ष 1923 में एम.ए. और वर्ष 1924 में बी.एल. किया। वह एक भारतीय राजनीतिज्ञ, बैरिस्टर और शिक्षाविद् थे जिन्होंने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में उद्योग और आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया। वर्ष 1934 में 33 वर्ष की आयु में, श्यामा प्रसाद मुखर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के कुलपति बने। कुलपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, रवींद्रनाथ टैगोर ने विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को पहली बार बंगाली भाषा में संबोधित किया और भारतीय भाषा को सर्वोच्च परीक्षा के लिए एक विषय के रूप में प्रस्तुत किया गया। वर्ष 1946 में उन्होंने बंगाल के विभाजन की माँग की ताकि इसके हिंदू-बहुल क्षेत्रों को मुस्लिम बहुल पूर्वी पाकिस्तान में शामिल करने से रोका जा सके। वर्ष 1947 में उन्होंने सुभाषचंद्र बोस के भाई शरत बोस और बंगाली मुस्लिम र...

संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस - 23 जून - UN-lok-seva-divas - Today's blog

संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस - 23 जून प्रतिवर्ष 23 जून को सम्पूर्ण विश्व में संयुक्त राष्ट्र द्वारा लोक सेवाओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में 'संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस' का आयोजन किया जाता है। यह दिवस लोक सेवकों के कार्य को मान्यता देते हुए समाज के विकास में उनके योगदान पर ज़ोर देता है और युवाओं को सार्वजनिक क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए प्रेरित करता है। 20 दिसंबर, 2002 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 जून को संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस के रूप में घोषित किया था। इस दिवस के संबंध में जागरूकता और लोक सेवा के महत्त्व को बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2003 में 'संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार' (UNPSA) कार्यक्रम की शुरुआत की थी, जिसे वर्ष 2016 में सतत् विकास के लिए वर्ष 2030 एजेंडा के अनुसार अपडेट किया गया था। 'संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार' कार्यक्रम सार्वजनिक संस्थाओं की नवीन उपलब्धियों और सेवाओं को मान्यता देकर लोक सेवाओं में नवाचार एवं गुणवत्ता को बढ़ावा देता है तथा उन्हें पुरस्कृत करता है, जो सतत् विकास के पक्ष मे...

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस - 23 June - International-Olympic-Day - Today's blog

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस - 23 June प्रतिवर्ष 23 जून को सैनिक गतिविधियों में खेल एवं स्वास्थ्य के महत्त्व को बढ़ावा देने के लिए 'अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस' का आयोजन किया जाता है। यह दिवस 1894 ई. में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना को चिह्नित करता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम लोगों के बीच खेलों को प्रोत्साहित करना और खेल को जीवन का अभिन्न अंग बनाने का संदेश प्रसारित करना है। आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरुआत ओलंपिया (ग्रीस) में आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी ईस्वी तक आयोजित प्राचीन ओलंपिक खेलों से प्रेरित है। यह ग्रीस के ओलंपिया में ज़ीउस (Zeus) (ग्रीक धर्म के सर्वोच्च देवता) के सम्मान में आयोजित किया जाता था। बेरोन पियरे दी कोबर्टिन ने 1894 ई. में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) की स्थापना की और ओलंपिक खेलों की नींव रखी। यह एक गैर-लाभकारी स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो खेल के माध्यम से एक बेहतर विश्व के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। यह ओलंपिक खेलों के नियमित आयोजन को सुनिश्चित करता है, सभी संबद्ध सदस्य संगठनों का समर्थन कर...

गणेश घोष (Ganesh Ghosh) - Short Introduction - Today's blog

गणेश घोष (Ganesh Ghosh) ▪️गणेश घोष का जन्म 22 जून, 1900 को ब्रिटिशकालीन भारत के बंगाल में हुआ था। ▪️घोष विद्यार्थी जीवन में ही स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हो गए थे। ▪️वर्ष 1922 की गया (बिहार) कांग्रेस में जब बहिष्कार का प्रस्ताव स्वीकार हो गया तो गणेश घोष और उनके साथी अनंत सिंह ने नगर का सबसे बड़ा विद्यालय बंद करा दिया था। ▪️गाँधीजी के असहयोग आंदोलन स्थगित करने के पश्चात् गणेश ने कलकत्ता के जादवपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया। ▪️वर्ष 1923 में उन्हें 'मानिकतल्ला बम कांड' के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया गया तथा कोई प्रमाण न मिलने के कारण उन्हें सज़ा तो नहीं हुई, पर सरकार ने 4 वर्ष के लिए नज़रबंद कर दिया था। ▪️वर्ष 1928 में वे बाहर निकले और कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में भाग लिया। ▪️घोष प्रसिद्ध क्रांतिकारी सूर्य सेन के संपर्क में आए और शस्त्र बल से अंग्रेज़ों की सत्ता समाप्त करके चटगाँव में राष्ट्रीय सरकार की स्थापना की तैयारी करने लगे। ▪️पूरी तैयारी के बाद इन क्रांतिकारियों ने वहाँ के शस्त्रागार और टेलीफोन, तार आदि अन्य महत्त्व के स्थानों पर एक साथ ...

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तितली - कभी-कभी संघर्ष ठीक वही होता है जिसकी हमें आवश्यकता (Butterfly-Struggle) - Story of the Day

तितली संघर्ष कहानी: (Butterfly-Struggle) - Story of the Day एक दिन एक आदमी को तितली का कोकून मिला। उसने एक छोटा सा छेद देखा और तितली को देखने के लिए वहाँ खड़ा हो गया जो छेद के माध्यम से अपने शरीर को बलपूर्वक निकालने के लिए संघर्ष कर रही थी। इस पूरी प्रक्रिया को मनुष्य कई घंटों तक देखता रहा। कुछ घंटों के बाद तितली ने कोई प्रगति करना बंद कर दिया और ऐसा लगा कि वह उस छेद से निकलने के लिए प्रयास करने की अपनी सीमा तक पहुंच गई है। तो आदमी ने उसकी मदद करने का फैसला किया और कैंची की मदद से उसने कोकून के बचे हुए हिस्से को काट दिया ताकि तितली आसानी से उस छेद से बाहर निकल सके। कोकून को हटाने के बाद आदमी इस उम्मीद में बैठ गया कि तितली कोकून से मुक्त होने के बाद अपने शरीर को सहारा देने के लिए अपने पंखों को फैलाकर उड़ेगी लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसके बजाय उसने एक सूजा हुआ शरीर और छोटे-छोटे झुर्रीदार पंख देखे। वास्तव में वह तितली फिर कभी उड़ने में सक्षम नहीं थी और जीवन भर इधर-उधर रेंगती रही। मनुष्य ने जो किया वह दयालुता थी लेकिन वह जो नहीं समझ पाया वह यह था कि उस छेद से निकलने के लिए तितली ने जो ...

ट्रेन में पिता और पुत्र (Father-Son-in-train-story) - Story of the Day

ट्रेन में पिता और पुत्र की कहानी एक पिता पुत्र ट्रेन से यात्रा कर रहे थे। लड़का 24 साल का था। लड़का बहुत उत्साहित था और खिड़की से बाहर देख रहा था। अचानक वह चिल्लाया, "पिताजी देखो पेड़ पीछे जा रहे हैं.." उसके पिता मुस्कुराए। उनके पास ही एक युवा जोड़ा बैठा था। जब उन्होंने लड़के का बचकाना व्यवहार देखा तो उन्हें लड़के के लिए दया के साथ अजीब लगा। अचानक लड़का फिर से बोला, "पिताजी बाहर देखो, बादल हमारे साथ चल रहे हैं।" अब यह देखकर फिर दंपत्ति विरोध नहीं कर सके और वृद्ध से बोले, "तुम अपने बेटे को डॉक्टर के पास क्यों नहीं ले जाते?" बूढ़ा समझ गया और बस मुस्कुराया और बोला, "मैंने किया, हम अभी अस्पताल से वापस आ रहे हैं। मेरा बेटा जन्म से अंधा था और वहाँ अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ। उसे अभी-अभी आँखें मिली हैं और अब हम घर वापस जा रहे हैं।" Moral: लोगों को सही मायने में जानने से पहले उनके बारे में राय न बनाएं क्योंकि हर किसी की एक कहानी होती है और कभी-कभी सच्चाई आपको चौंका सकती है।

डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय : Dr. Subhash-mukhopadhyay - Short introduction

डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय (Dr. Subhash Mukhopadhyay)   भारत के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी के जनक डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय का जन्म 16 जनवरी, 1931 को हुआ था।   सुभाष मुखोपाध्याय की शिक्षा कलकत्ता और उसके बाद एडिनबर्ग में हुई थी।   इनकी विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक के जरिए भारत में पहली टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म 3 अक्टूबर, 1978 को कलकत्ता में हुआ था। डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय जब स्कॉटलैंड की एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की डिग्री लेकर कलकत्ता लौटे, तब तक टेस्ट ट्यूब बेबी पर विश्वभर में चर्चा तेज हो चुकी थी, लेकिन कोई सफल प्रयोग होना अभी बाकी था।   25 जुलाई, 1978 को चिकित्सक पैट्रिक स्टेप्टो और रॉबर्ट एडवर्ड्स ने टेस्ट ट्यूब के जरिए बच्चे को जन्म देने की घोषणा कर इतिहास रच दिया।     25 जुलाई की घोषणा के महज 67 दिनों के भीतर 3 अक्टूबर, 1978 को डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय ने भी एक घोषणा की तथा उन्होंने दुनिया को बताया कि टेस्ट ट्यूब के जरिए बच्चे को जन्म देने का उन्होंने भी सफल प्रयोग कर लिया है।   टेस्ट ट्यूब के जरिए जन्मीं बच्ची को नाम मिला 'दुर्गा'। इस नाम के पीछे की कहानी यह है कि 3 अक...

BKY LKY Style Photos : sweet moments

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BKY LKY PHOTOS BKY LKY STYLE PHOTO

BKY LKY PHOTO - SWEET MOMENT

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BKY LKY BROTHERS CAT : SWEET MOMENT

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BKY LKY BROTHERS : SWEET MOMENT

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