प्रशांत चंद्र महालनोबिस : Prashant Chandra mahalnobis - Short introduction
प्रशांत चंद्र महालनोबिस
● प्रशांत चंद्र महालनोबिस का जन्म 29 जून, 1893 को कलकत्ता के 210, कार्नवालिस स्ट्रीट स्थित उनके पैतृक आवास में हुआ था।
● उनके पिता का नाम प्रबोध चंद्र महालनोबिस था जो साधारण ब्रह्म समाज के सक्रिय सदस्य थे।
● महालनोबिस की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा उनके दादा, गुरु चरन महालनोबिस द्वारा स्थापित ब्रह्म ब्वॉयज स्कूल में हुई।
● उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा इसी स्कूल से वर्ष 1908 में उत्तीर्ण की।
● महालनोबिस प्रेसीडेंसी कालेज से भौतिकी विषय में ऑनर्स करने के बाद उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए लंदन चले गए तथा वहाँ इन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से भौतिकी और गणित दोनों विषयों से डिग्री हासिल की।
● वैज्ञानिक होने के अलावा श्री महालनोबिस की रुचि साहित्य में भी थी।
● उनके गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर के साथ काफ़ी अच्छे संबंध थे।
● टैगोर ने 'विश्व भारती' की स्थापना की तो प्रोफेसर महालनोबिस को संस्थान का सचिव नियुक्त किया।
● प्रोफेसर ने गुरुदेव के साथ कई देशों की यात्रा भी की और कई महत्त्वपूर्ण दस्तावेज भी लिखे।
● भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उनकी मदद लेनी शुरू कर दी और उन्होंने कृषि व बाढ़ नियंत्रण के क्षेत्र में कई अभिनव प्रयोग किए।
● उन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा वर्ष 1944 में 'वेल्डन मेडल' से सम्मानित किया गया तथा वर्ष 1945 में रॉयल सोसायटी ने उन्हें अपना फेलो नियुक्त किया।
● प्रोफेसर महालनोबिस ने सांख्यिकी के उपयोग से पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण में अहम् भूमिका निभाई।
● 17 दिसंबर, 1931 को कोलकाता में 'भारतीय सांख्यिकी संस्थान' की स्थापना हुई।
● आज कोलकाता के अलावा इस संस्थान की शाखाएँ दिल्ली, बैंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, कोयंबटूर, चेन्नई, गिरिडीह सहित देश के दस स्थानों में हैं तथा संस्थान का मुख्यालय कोलकाता में है, जहाँ मुख्य रूप से सांख्यिकी की पढ़ाई होती है।
● प्रोफेसर महालनोबिस को वर्ष 1957 में अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान का सम्मानित अध्यक्ष बनाया गया।
● वर्ष 1959 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान को 'राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान' घोषित किया गया।
● प्रशान्त चन्द्र महालनोबिस का जन्मदिन 29 जून, प्रतिवर्ष भारत में 'सांख्यिकी दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
● भारत सरकार ने वर्ष 1968 में प्रोफेसर प्रशान्त चन्द्र महालनोबिस को देश के दूसरे सर्वोच्च सम्मान 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया।
● वर्ष 1968 में उन्हें 'श्रीनिवास रामानुजम स्वर्ण पदक' से सम्मानित किया गया।
● 28 जून, 1972 को महलनोबिस का कलकत्ता में निधन हो गया।